Tuesday, September 27, 2011

सफ़ेद कालर, गंदे कालर, इत्यादि-इत्यादि...

     सफ़ेद कालर के विद्रोह, यानी मिडिल क्लास मिलिटेंसी की प्रेरक शक्तियां, महँगाई और मुद्रास्फीति (price inflation ) ही नहीं हैं ! उनके पीछे व्यक्तिगत कुकर्म और सुविधाजनक पदार्थों को खरीदने की स्पर्धा भी है - जो सफ़ेद कालर (middle class family ) को अंधाधुंध खर्च करने और पैसे की कमी पर लगातार रोने को बाध्य करती हैं !

      मान लीजिए की आप विदेशी हैं (ऐसा मान लेना मुश्किल नहीं है क्योंकि ज़्यादातर मिडिल क्लास प्रायः अपने को विदेशी ही मानता है) और भारत में नए-नए आए हैं, और किसी पाँच-सितारा होटल के लाउंज में बैठकर "इलसट्रेटेड वीकली" या "फेमिना" जैसी कोई पत्रिका पलट रहे हैं ! उस समय इन पत्रिकाओं के चमकीले पन्नों को देखकर आप यही समझेंगे की :

        भारत से गरीबी मिट गयी है, भारत आज फिर से सोने की चिड़िया बन गया है ! यहाँ नारियों के लिए काफी कुछ किया गया है जैसे- "madame " के शोरूम, "लक्मे" के प्रोडक्ट्स, "spa " के हर प्रमुख शहरों में सेंटर, टॉमी हिल्फैगेर की जींस, प्लेबोय के बैग , इत्यादि-इत्यादि ! वहीँ मर्दों की ओर भी ध्यान दिया गया है और इसमें सबसे ऊपर है "ख़ास मर्दों वाली क्रीम" ! मर्दों की अन्य ज़रूरतें भी मुहय्या कराई गईं हैं जैसे- नाईक और अड़ीडास के जूते (वूडलैंड के भी), अरमानी के सूरज-विरोधी चश्मे, राडो की घड़ी, jockey की चड्ढी, डीजल (पेट्रोल पम्प वाला नहीं) की बनियान, इत्यादि-इत्यादि !

     पुरुष और महिला -दोनों के खाद्य पदार्थ भी अव्वल दर्जे के उपलब्ध हैं जैसे- चीज़ वाला पिज्जा, हैमबर्गर, के.एफ.सी. के चिकन, बरिस्ता की कॉफी, ब्लैक डॉग (जिसे पीकर कुत्ता भी शेर बन जाता है), इत्यादि-इत्यादि !

      अगर आप असली मिडिल क्लास व्यक्ति हैं तो यही सब खरीदिये, यही सब खाइए, भिखारी को मेहनत की नसीहत दीजिये, गर्लफ्रेंड के साथ पी.वी.आर. में डेल्ही-बेल्ली देखिये, बढती महंगाई पर बवाल मचाइए, इत्यादि-इत्यादि !

     ठीक ऐसी ही कुछ आवश्यकताएं गंदे कालर (गरीब) वालों की भी पूरी की गई हैं जैसे- यू.आई.डी कार्ड (जो पता नहीं क्या चमत्कार करने वाला है), मनरेगा (100 दिन काम करो 265 दिन दिहाड़ी के लिए चप्पल घिसो), 6  से 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त शिक्छा (उसके बाद पढ़े-लिखे अनपढ़ बनो) , बिलो पावर्टी लाइन का कार्ड, इत्यादि-इत्यादि ! 

   

4 comments:

  1. infact a mirror providing device rather to say mere an article for the prevailing society, especially the one i.e., the middle class...keep on penning wid ur critical aspect.

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  2. thnx a ton Avantika ji for ur valuable views.

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  3. once again a masterpiece work shukla ji !.....ur succinct touches to the soul & brings an element to annoy ur writing skills, exposing the ambiance of such ill-practices & that too by fathoming upto the deepest level is infact a skilled one.

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  4. once again a massive thnx Kaveri ji !...ur comment always encourages to move on & in fact proved as a non-lasting fuel which escalates my embedded emotions to get in shapes of black & white..by-the-way m not a skilled one rather a raw-one in the arena of writing.

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