"बॉस" ..ये नौकरी-पेशा लोगों की एक प्रजाति है ! ठीक उसी तरह जैसे 'बुलडाग' कुत्ते की, 'गुइनिया' सूअर की, 'बुर्रिटो' गधे की, 'अरेबियन' घोड़े की, 'मुआ' उल्लू की, और 'कोलोबस' बन्दर की प्रजातियाँ हैं ! विज्ञान की भाषा में हर एक प्रजाति का अपना अलग गुण होता है - जैसे 'बुलडाग' कुत्तों की पूँछ छोटी होती है, 'गुइनिया' सूअर के थूथुन बड़े होते हैं, इत्यादि, इत्यादि ! ठीक उसी तरह "बॉस" नाम की इस प्रजाति का भी अपना एक अलग गुण है और वो ये की तमाम अवगुण होते हुए भी वो अपने आपको सबसे गुणी मानता है ! वो ऐसा क्यूँ मानता है इस पर मनोविज्ञान के छात्र पी.एच.डी. कर सकते हैं !
एक शोध के बाद ये पाया गया है कि "बॉस" वो होता है जो ऑफिस बिल्कुल ठीक समय पर पहुँचता है जब आप लेट पहुँचते हैं और वो खुद लेट पहुँचता है जब आप ठीक समय पर पहुँचते हैं ! कुल मिलाकर उसको वरदान है कि वो आपमें कुछ न कुछ कमी अवश्य पा लेगा ! मगर "बॉस" बनना कोई जलेबी खाना नहीं है कि गए, माँगा , और खा लिया ! ये तो अंधे कि वो रेवड़ी है जो अँधा बांटता तो है मगर घूम-घूम कर अपनों में ही ! मतलब साफ़ है, बॉस अमूमन वही बन सकता है जो अमूमन बॉस के घर पैदा होता है ! कभी सुना है ?' कलेक्टर का लड़का चपरासी बना', 'डी.जी.पी. का लड़का हवलदार बना', 'डॉक्टर का लड़का कम्पाउंडर बना', 'इंजीनियर का लड़का एक सड़क-छाप मेकैनिक बना' 'क्रिकेटर का लड़का तबलची बना', 'सुपरस्टार का लड़का स्टार नहीं बना', 'मंत्री का लड़का आम-आदमी बना', या फिर, 'बिजनेसमैन का लड़का भिखारी बना' ?
बॉस की पैदाइश अमूमन किसी मेट्रोपोलिटन सिटी में होती है, जैसे, मुंबई, डेल्ही, बंगलुरु, चेन्नई, इत्यादि-इत्यादि, और वो भी अमूमन किसी एयर-कंडीशन फाइव-स्टार हस्पताल में, जैसे, अपोलो, फोर्टिस, लीलावती, इत्यादि-इत्यादि ! जो छोटे शहर और सरकारी हस्पताल के सरकारी माहौल में पैदा होते हैं, वे सामान्यतः बॉस बनने की काबिलियत खो बैठते हैं ! बॉस का बचपन महंगे खिलौनों में बीतता है, जैसे बार्बी डॉल, विडियो-गेम, प्ले-स्टेशन, इत्यादि-इत्यादि ! जब आम बच्चा (जो आगे चलकर बॉस नहीं बनेगा) नंगे पैर मिट्टी में लोट रहा होता है, तब भविष्य का ये बॉस किसी "प्ले-वे" में गुब्बारे से खेल रहा होता है ! जब आम बच्चा देहात के प्राइमरी में दाखिल होता है, तब भविष्य का ये बॉस कॉन्वेंट में इंट्री मारता है ! जब आम बच्चा खेतों में भैंस चराता है, तब भविष्य का बॉस पल्सर के कान उमेठता है !
खैर, भविष्य का बॉस अब वाकई में बॉस बन चुका है ! अफसर (या बॉस एक ही बात है) बनने के बाद उसमे पहली खूबी तो यह आई कि उसे हिन्दोस्तान अब कुछ ख़ास रास नहीं आने लगा, एक विदेशी दौरा ज़रूरी हो गया ! दूसरी बात यह हुई कि उसे ब्रिज, बिलियर्ड, पूल, गोल्फ, टेबलटेनिस से लेकर हालीवुड कि फिल्मे, ना समझ आने वाली पेंटिंग्स और दूसरी ललित-कलाएं अपने-आप आ गईं, जैसे कि हर अफसर को आ जाती हैं ! तीसरी और सबसे बड़ी खूबी उसमें यह आई कि उसमें अचानक भैंसों, सूअरों, और सांडों की तरह भारी मात्रा में चर्बी का स्टॉक ज़मा हो गया !
यह बॉस एक सरकारी अफसर है, वह खुद घूस के दलदल में लोटता है, मगर नई-भर्तियों को कर्रप्सन से दूर रहने की सलाह गला फाड़ कर देता है ! जब कभी उसे टाइम पास करना होता है वो अपने से नीचे काम करने वालों के यहाँ दबिश देता रहता है (ताकि उन्हें एहसास रहे की वो नीचे हैं और बॉस ऊपर) ! एक दिन वो नगर-निगम के दफ्तर का आकस्मिक दौरा करने निकल पड़ता है साथ में सरकारी फोटोग्राफर और गैर सरकारी होने के बावजूद दो ज़िम्मेदार पत्रकार !
दफ्तर पहुँचते ही उन्हें एक इंजीनियर, दो उप और तीन सहायक नगर अधिकारी गैरहाजिर मिलते हैं ! वे उनकी मुअत्तली का हुक्म देते हैं ! एक छोटे मुलाजिम को शीतल पेय लाने का हुक्म देकर वो धस से सोफे पर पसर जाते हैं ! तभी हंफनाता हुआ सूबे का छोटा अधिकारी बॉस के सामने पेश होता है ! कोक की एक सिप लेकर बॉस उस पर गुर्राते हैं - "यहाँ कोई डिसिप्लिन नहीं है ! आपका काम बिल्कुल रद्दी है ! पूरा शहर सड़ांध और गन्दगी से बजबजा रहा है, घूरा बन गया है !" छोटा अफसर और छोटा मुलाजिम दोनों अपने दोनों कानों से बड़े अफसर की दुत्कार एक असांयट की तरह सुनते हैं !
गैरहाजिर मुलाज़िमों की तफ्तीस के दौरान बॉस को पता चलता है कि एक मुलाजिम किसी दूसरे बॉस कि बीवी को ड्राइविंग सिखाने गया है ! बॉस फ़ौरन उसको दफ्तर में बुलवाते है और उससे ड्राइविंग लाइसेंस की मांग करते हैं ! मगर मुलाजिम के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं मिलता है ! बॉस अब अफसराना अंदाज़ में पूंछता है, "यानी कि खुद गाडी चलाने कि ज़रा भी तमीज नहीं और दूसरों को आप गाडी चलाना सिखा रहे हैं ?"
"बेशक ज़नाब, आपने दुरुस्त फ़रमाया, " मुलाजिम थोड़ी बदतमीजी से बोला, पर इससे आपको हैरत क्यूँ हो रही है ? ऐसा तो आजकल सारे देश में हो रहा है ! खुद अपने को देखिए, आप अंग्रेजी में एम.ए. हैं पर मोटरों के महकमे में अफसर बन गए हैं ! मैं एक करोडपति को जानता हूँ ! वह कुछ गुप्त रोगों से पीड़ित था ! चिकित्साशास्त्र से उसका कुल मिलाकर यही रिश्ता था ! वह अब एक प्राइवेट मेडिकल कालेज का एम.डी. है ! मैं एक ऐसे शख्स को भी जानता हूँ जो एक चुंगी-चौकी पर पर्ची काटता था ! यानी उसके सारे जीवन का कुल यही अनुभव था कि किस तरह सड़क के आर-पार शहतीर खींच कर सामने आती गाडी को रोक लिया जाए ! आज वह एक राज्य में गृहमंत्री है और पुलिस कप्तानों को कानून और व्यवस्था के दांव-पेंच सिखाता है ! सिर्फ भैंस चराकर आजकल मुख्यमंत्री बन जाते हैं, और मुँह खोलकर 'भक' से जैसे ही कोई आवाज़ निकालते हैं वही उनकी नीति बन जाता है ! उन्हें भरोसा है और इस बात कि अकड़ भी, कि जो भैंस चरा सकता है वह राज्य के आठ-दस करोड़ इंसानों को भी चरा सकता है क्योंकि उधर भैंसें हैं और इधर भेंडें हैं ! और आप उन्हें भी जानते हैं जिन्होंने विधाइकी तो दूर, कभी ग्राम-सभा का इलेक्शन तक नहीं लड़ा और वे अचानक देश के प्रधानमंत्री बन बैठे ! आप भला मुझी से गाडी चलाने का लाइसेंस क्यों मांग रहे हैं ? यहाँ से दिल्ली तक जाकर कहीं भी चेक कर लीजिए , प्रजातंत्र कि गाडी चलाने वाले और उस्ताद बनकर उन्हें सिखानेवाले आपको जो भी मिलेंगे, मुझसे कतई बेहतर नहीं होंगे !
ज़िम्मेदार पत्रकार इसे नोट करने लगते हैं, तभी दरवाज़े से कॉफी और काजू का प्रवेश होता है !